गुरुवार, 16 अक्टूबर 2014

Jeet hai

मान लो गर हार, तो फिर हार है
ठान लो गर जीत, तो फिर जीत है

कोशिश नहीं है पूरी, तो फिर हार है
बाँधी जो कमर कस के, तो फिर जीत है

टूटी कभी जो हिम्मत, तो फिर हार है
लड़े जो आखिर तक, तो फिर जीत है

थक कर जो बैठ गए, तो फिर हार है
चल पड़ो पूरे जोश से, तो फिर जीत है

रहे जो डर कर ही सदा, तो फिर हार है
एक बार जो लड़ गए, तो फिर जीत है

सुनते रहे जो सबकी, तो फिर हार है
दिल की जो बस सुन ली, तो फिर जीत है

मंज़िल है लापता, तो फिर हार है
साफ़ है गर लक्ष्य, तो फिर जीत है

निकले न कभी घर से, तो फिर हार है
उठा जो एक कदम तो, फिर जीत है

मान लो गर हार, तो फिर हार है
ठान लो गर जीत, तो फिर जीत है












रविवार, 12 अक्टूबर 2014

Chhab yaar kii

देखी जो छब यार की, दिल मेरा धड़कना भूल गया
छाया ऐसा ख़ुमार तेरा, मैं होश में आना भूल गया

तेरा नाम, तेरी बात, तेरी हंसी, तेरी अदा
याद बस सब कुछ तेरा, मैं खुद को ही भूल गया

साहिलों की रेत पर सिमटे दरिया की तरह
बस तुझे छूकर मैं अपनी बेक़रारी भूल गया

बिन तेरे कैसे रहूँ, क्या करूँ तेरे बिना
रुठने से पहले तुझसे, सोचना मैं भूल गया

गर्द-ए-सहरा नहीं मिल पाती कभी बहार से
धूप छाँव क़िस्मत अपनी, ये मैं कैसे भूल गया

फुरसत में यूं ही कभी, बारिशों को देखकर
याद तेरी, अश्क़ मेरे, पोंछना मैं  भूल गया

शनिवार, 11 अक्टूबर 2014

Zindagi gulzar hai

Dedicated to my lovely wife... Not related to the TV show with the same name.

ज़िन्दगी मेरी गुलज़ार है तेरे क़रीब होने से
हर एक पल खुशनुमा है तेरे क़रीब होने से 

था दुनिया की इस भीड़ में तन्हा रहा सदा 
हमसफ़र एक मिला मुझे तेरे क़रीब होने से 

फ़लक़ पे हो रोशन लाखों चिराग इस तरह
क़ायनात मेरी रोशन है तेरे करीब होने से

रहा दिन भर के संघर्ष से टूटा, थका हरा
जी उठा जी भर के तेरे करीब होने से

ज़र्रा था मैं पहले भी, ज़र्रा हूँ मैं अब भी
आफ़ताब बन जाता हूँ पर तेरे करीब होने से