रविवार, 12 अक्टूबर 2014

Chhab yaar kii

देखी जो छब यार की, दिल मेरा धड़कना भूल गया
छाया ऐसा ख़ुमार तेरा, मैं होश में आना भूल गया

तेरा नाम, तेरी बात, तेरी हंसी, तेरी अदा
याद बस सब कुछ तेरा, मैं खुद को ही भूल गया

साहिलों की रेत पर सिमटे दरिया की तरह
बस तुझे छूकर मैं अपनी बेक़रारी भूल गया

बिन तेरे कैसे रहूँ, क्या करूँ तेरे बिना
रुठने से पहले तुझसे, सोचना मैं भूल गया

गर्द-ए-सहरा नहीं मिल पाती कभी बहार से
धूप छाँव क़िस्मत अपनी, ये मैं कैसे भूल गया

फुरसत में यूं ही कभी, बारिशों को देखकर
याद तेरी, अश्क़ मेरे, पोंछना मैं  भूल गया

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